Sunday, May 23, 2010

मुक्तावली

मौन का आसमान होता है,
आंसुओं में बयान होता है।
है उससे जाना बहुत मुश्किल,
दर्द तो बेजुबान होता है।

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ना तो अपनी है न पराई है,
साँस दर साँस ये समाई है।
मौत अपना पता नहीं देती,
इसकी सबसे ही आशनाई है।

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