Thursday, July 15, 2010

बंद करके हादिसो के

बंद करके हादिसो के अब ये तहखाने सभी
आईये खोलें मोहब्बत के ये मयखाने सभी

हम सियासत की अँगुलियों पर कभी नाचे नहीं
कह रहे हमसे छलक कर आज पैमाने सभी

ग़म से घबरा कर चले आये हैं मयखाने में हम
अब जहाँ आते हैं अपने दिल को बहलाने सभी

जन्म से हर एक धड़कन दर्द मे उलझी मिली
पर उसे भी आ गए हैं लोग बहकाने सभी

आग से ताप कर जो निकला वो 'रमा' कंचन हुआ
इस हकीक़त को बहुत ही देर मे माने सभी

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