एक ग़ज़ल नई हे
दिल ने दिल से यारी की
या उससे गद्दारी की
प्यार जताया लूट लिया
ऐसी आपसदारी की
आहें ,दर्द ,कसक ,तड़पन
इनसे भी एय्यारी की
नए घोसलों पर देखो
बाज ने पहरेदारी की
तन ने मन का क़त्ल किया
पाप की गठरी भारी की
जागी सारी रात रमा
दिल ने दिल से यारी की
या उससे गद्दारी की
प्यार जताया लूट लिया
ऐसी आपसदारी की
आहें ,दर्द ,कसक ,तड़पन
इनसे भी एय्यारी की
नए घोसलों पर देखो
बाज ने पहरेदारी की
तन ने मन का क़त्ल किया
पाप की गठरी भारी की
जागी सारी रात रमा
मन से मारामारी की