Wednesday, July 14, 2010

आंसुओं के घर में भी

आंसुओं के घर में भी ज़िन्दादिली की बात कार
ये घुटन वाले हैं घर तू रोशिनी की बात कार

हर कदम पे मौत मेरे साथ में चलती ही है
इसलिए कहती हूँ तुझसे ज़िन्दगी की बात कार

दर्द अपना, आह अपनी मन के घर में बंद रख
यों न हर पल जग से अपनी बेबसी की बात कर

ज़िन्दगी जीने का तू ये भी सलीका सीख ले
सब के संग नेकी ही कर,तू मत बदी की बात कर

ये बनावट बाँट देगी तुझको टुकड़ो में 'रमा'
हो सके तो सादगी से सादगी की बात कर

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