Monday, July 5, 2010

आँख से आँसू

आँख से आँसू जो तुमने चुन लिए
ख़्वाब मेरे साथ कितने बुन लिए

दो तटों के बीच सोई थी नदी
आज फिर जागी नई-सी धुन लिए

एक मौसम जब से कुछ समझा गया
झूमते हैं मन में इक फागुन लिए

लाख चाहा था छुपा लूँ मैं इन्हें
फिर भी सारे गीत तुमने सुन लिए

रोज़ आते हैं किसी के दो नयन
साथ भँवरे की नई गुन-गुन लिए

No comments:

Post a Comment