Wednesday, July 14, 2010

तू बस एक कहानी बन जा

तू बस एक कहानी बन जा
इन आँखों का पानी बन जा

जिसमें केवल ख्वाब हों उसके
ऐसी नींद सुहानी बन जा

क्या मैं आज तुझे समझाउं
तू ही प्यार का मानी बन जा

हिन्दू और न मुस्लिम बन अब
तू कबीर की बानी बन जा

भूल न पाए 'रमा' जिसे जग
ऐसी एक कहानी बन जा

9 comments:

  1. बहुत सुन्दर भाव लिए अच्छी रचना ...

    कमेंट्स कि सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें...टिप्पणियाँ देने वालों को आसानी होगी

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  2. मंगलवार २० जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार

    http://charchamanch.blogspot.com/

    दिनांक गलत छप गयी थी

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  3. हिन्दू और न मुस्लिम बन अब
    तू कबीर की बानी बन जा छोड़ जात पात के ढकोसले इन्सानियत की राह पे चल के गंगा का निर्मल पानी बन जा। बहुत सुन्दर रचना।

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  4. हिन्दू और न मुस्लिम बन अब
    तू कबीर की बानी बन जा
    बहुत सुन्दर एवं सार्थक सन्देश प्रसारित करती भावपूर्ण रचना ! बधाई और शुभकामनायें !

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  5. बढ़िया कविता. आनंद आ गया.

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  6. एक खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपका आभार..

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  7. वाह कितने निर्मल विचार. बहुत अच्छी रचना.

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  8. हिन्दू और न मुस्लिम बन अब
    तू कबीर की बानी बन जा

    वाह...वा...कितने सुन्दर विचार हैं आपके...वाह...वा
    नीरज

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