तू बस एक कहानी बन जा
इन आँखों का पानी बन जा
जिसमें केवल ख्वाब हों उसके
ऐसी नींद सुहानी बन जा
क्या मैं आज तुझे समझाउं
तू ही प्यार का मानी बन जा
हिन्दू और न मुस्लिम बन अब
तू कबीर की बानी बन जा
भूल न पाए 'रमा' जिसे जग
ऐसी एक कहानी बन जा
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बहुत सुन्दर भाव लिए अच्छी रचना ...
ReplyDeleteकमेंट्स कि सेट्टिंग से वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें...टिप्पणियाँ देने वालों को आसानी होगी
मंगलवार २० जुलाई को आपकी रचना ... चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर ली गयी है आभार
ReplyDeletehttp://charchamanch.blogspot.com/
दिनांक गलत छप गयी थी
हिन्दू और न मुस्लिम बन अब
ReplyDeleteतू कबीर की बानी बन जा छोड़ जात पात के ढकोसले इन्सानियत की राह पे चल के गंगा का निर्मल पानी बन जा। बहुत सुन्दर रचना।
हिन्दू और न मुस्लिम बन अब
ReplyDeleteतू कबीर की बानी बन जा
बहुत सुन्दर एवं सार्थक सन्देश प्रसारित करती भावपूर्ण रचना ! बधाई और शुभकामनायें !
बढ़िया कविता. आनंद आ गया.
ReplyDeleteएक खूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपका आभार..
ReplyDeleteवाह कितने निर्मल विचार. बहुत अच्छी रचना.
ReplyDeleteखूबसूरत ग़ज़ल आभार
ReplyDeleteहिन्दू और न मुस्लिम बन अब
ReplyDeleteतू कबीर की बानी बन जा
वाह...वा...कितने सुन्दर विचार हैं आपके...वाह...वा
नीरज